Tuesday 3 April 2018

योगी जी सुनिए


योगी जी को सादर प्रणाम,
अपने गोशालाओं से निकल कर गायों के अच्छे दिन देखिए। याद रखिये गाय, बैल और सांड जो गोमाता के अलग-अलग प्रारूप हैं उनकी इस तरह से निर्मम हत्या का मामला दर्ज हो तो बचाने से ज्यादा केस आप पर 302 के तहत मारने के जुल्म में चलाये जा सकते है यदि गाय को भी उच्चतम न्यायालय मनुष्य की तरह मौलिक अधिकारों से सुसज्जित कर दे जैसे नदियां और पर्वत जिन्हें लिविंग एंटिटी मान लिया गया है।
लेकिन आप गायों की इस राजनीति में कब चाहेंगे कि वो इंसान की तरह जीने का अधिकार पाए। आप चाहेंगे कि उन्हें भगवान का दर्जा देना सबसे सही है। क्योंकि आप विरासत में मिले सनातन धर्म के अनुवाई हैं यही न। हां भाई मंगरू और झगरू तो इंसान से जानवर की श्रेणी में आ जाएंगे यदि वे अपनी किसानी के चक्कर में खेतों से लाठी मार कर भगा दें।
मैं आप सभी महान टीवी चैनलों और प्रिंट मीडिया के पत्रकारों से पूछना चाहता हूं कि आप कब दिखाएंगे कि गोमाताओं के इतने अच्छे दिन आ गए हैं कि उन्हें कहीं लंगड़ होकर बैठना पड़ रहा है तो कहीं कराहते हुए दिन गुजारने पड़ रहे हैं। किसानों की फसलों की दुर्गति के बारे में कब बताएंगे। सड़कों पर हो रहे हादसे के आंकड़ों को कब बताएंगे। या ये सब छोड़कर केवल मोदी-मोदी, राहुल-राहुल, योगी-योगी, केजरी-केजरी, माया-माया, अखिलेश-अखिलेश....इन्हीं के बच्चों जैसे बयानों पर कोहराम मचाते रहेंगे। तोड़-मरोड़कर तब तक दिखाएंगे जब तक किसान कर्जे से डूबकर आत्महत्या न मार ले।
*सड़कों पर इनके जत्थों को लेकर क्या कहना है? क्यों गायें आजकल देहातों में खुलेआम हजारों की संख्या में घूम रही हैं? योगी जी आपके पास इनकी जनसंख्या को लेकर कोई योजना है?
*किसानों की फसलें जितनी बर्बाद हो रही हैं उनकी भरपाई आप देंगे?
*इनकी वजह से हो रही गायों और इंसानों की मौतों का जिम्मेदार कौन है आप या डीएम?
*क्या नीतियां बनाने वाले केवल राम जन्मभूमि का मंदिर बनवाने में लग गए हैं?
*अगर आपको नीतियों के बारे में अब भी कुछ कहना है तो आईये आपको उन्हीं गायों की राजनीति के बाद का हश्र दिखाते हैं। भालाओं से गहरे घाओं को देखकर आप का दिल अगर इंसान का होगा तो तड़प उठेगा।


-प्रभात 


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