Friday 19 January 2018

मेरे ऑफिस की वो लड़की।

मेरे ऑफिस की वो लड़की।
हाँ मजाक मत उड़ाना, तुमसे एक बात पूछुं.... उसने ऐसे कहा था जैसे वह कितने दिनों से जानती हो।
मेरे मन में एक सवाल उठा कि आखिर ऐसा क्या कहने वाली है?
कुछ बोलता इससे पहले उसने अपने दोनों हाथों से मेरी कलाई को पकड़ जोर से अपने तरफ खींच लिया। कुछ समझ पाता इससे पहले उसने कहा... आओ तुम इधर देखो यह बिल्ली देख रहे हो कितनी क्यूट है?
मैं उसके चंचल मन को देखकर बस इतना ही अंदाजा लगा पाया कि हम भी इतने ही क्यूट होते, ऐसी ही सोच होती तो आज इस वाकये को लेकर इतना रोमांच न जगा होता। भीतर से डर और उससे बढ़ रहीं साँसे निरंतर उसी तरीके से गतिमान होतीं जैसे वह सामान्य रूप में होती हैं।
लेकिन हां, अब मुझे उत्तर भी देना ही था....हां वह बहुत क्यूट है लेकिन तुमसे कम
उस लड़की ने मेरी तरफ सिर घुमाया ....क्या मैं क्यूट ....हूँ। अच्छा मतलब मैं तुम्हें...
इतना ही कहा था, तुरन्त मैं बोलने के लिए हल्का सा शुरू हुआ कि मुस्कुराहट के साथ एक ही बात मुँह से निकली.....तुम, तुम तो मुझे कभी पसंद ही नहीं आते, मतलब तुम मुझे नहीं पसंद।
उसने भी झट से यही कहा....अच्छा तुम भी मुझे नहीं पसन्द, चिढ़ाते हुए बोली।
विवेक शून्य और अथाह सागर की तरह मेहरबान तरंगों जैसी काली आंखें मुझे छूने के लिए तड़प उठी थीं। मुस्कुराते हुए चमकते दांत मोती की तरह उस सांवली सी सूरत पर इतनी गहराई से चढ़े हुए थे कि उसकी परछाई मेरे चलने पर बार-बार मेरे सामने दिख जाती थी। वो ऑफिस की लड़की भी न...क्या क्या पूछती है....बिल्ली क्यूट है....वो चाँद देखो,---- पगली कहीं की कभी ये नहीं सोंचती शायद कि वह सब झूठ बोलती है....सच तो यह है कि उससे सुंदर बिल्ली तो क्या चाँद भी न है। उसकी मुस्कुराहट पर ये सभी टकटकी लगाकर देखते रह जाते हैं।
ये प्यार है....
प्रभात का सुप्रभात

बीते दिनों को याद करो

बीते दिनों को याद करो
मगर विपदाओं का त्याग करो
हुनर सीखे होगे अद्भुत
नव वर्ष पर इस्तेमाल करो
मन में ज्योति जला लो
हवा को साथ मिला लो
फफके न दर्द से कभी
ऐसे दिल का ख्याल करो
बीते..
कोई शत्रु नहीं है जीवन का
आपसी भाईचारा बनी रहे
स्मृतियों की छाया में हो जब
सकारात्मक तथ्यों से बात करो
बीते.....
नव सुबह होगी हर दिन दिल से
उज्ज्वल भविष्य की आस में
ले कठिन डगर हाथ में
निराश नहीं, प्रण करो
बीते...
साथ मिला अब तक जिनका
उनकी वजह से जगमग हूँ मैं
सफर में नहीं, अब भी तो क्या
शुक्रिया कहकर प्रणाम करो
बीते...
इस दुनिया की चहारदीवारी को
लाघो जितना कूद सको
देख सको खुद के अहम को
मैं से ही आओ हम पर, विश्वास करो
बीते...
आओ खुशियों का श्रृंगार करो
पूर्वाग्रह नहीं, दर्पण से विहार करो
जाओ किधर भी, बस याद रखो
दूसरे के अपनत्व का सम्मान करो
बीते...
पंखुरी से हर जख्म को पाट लो
प्रीत की डोर से अपराध काट लो
मार दो भय और जलन को सदा
उसे नहीं चाहे पर इतना उपकार करो
बीते...
-प्रभात का सुप्रभात
नव वर्ष की ढेरों 
शुभकामनाएं
पहले मुस्कुराएं फिर हँसे, फिर मुस्कुराएं.....और ये सिलसिला रुके नहीं..