घूम लो गाँव, खेत खलिहान....
लौट कर घर ही तो आओगे
लौट कर घर ही तो आओगे
शहर के चकाचौध में रह लो....
जुगनूं से मिलने तो आओगे
जुगनूं से मिलने तो आओगे
पेड़ो की शाखाएं तोड़ डालो....
चिता पर लकड़ी न पाओगे
चिता पर लकड़ी न पाओगे
अवरोध रास्तों पर तो होंगे ही....
रोज चलोगे तो सुकून पाओगे
रोज चलोगे तो सुकून पाओगे
पोखरे को पाटके नींव रख ली....
अब गारे का पानी न पाओगे
अब गारे का पानी न पाओगे
जिंदगी में जो भी कुछ मिला....
संतोष करो तो खुशी पाओगे
संतोष करो तो खुशी पाओगे
घूम लो गाँव, खेत खलिहान....
लौट कर घर ही तो आओगे
लौट कर घर ही तो आओगे
-प्रभात
तस्वीर: गूगल आभार