Wednesday 11 January 2017

मेरे क़दमों

मेरे क़दमों पर चलने का मौका खो दिया तुमने
तुम्हारे साथ चलने को अब सौ बार सोंचूंगा
तुम्ही से प्यार किया था, तो तुम्हारे राह चला था मैं 
तुम्हारी हर इक आदत को अपना ढाल लिया था मैं
मेरी हर बात को तुमने ऐसे हलके में लिया था
पतंगा जला शमां पर था, मजबूर किया था तुमने
अब इजहार प्यार करने को कभी दिल से न सोंचूंगा....
बड़ी चाहत में तुमको खुद के जैसे भाप लिया था मैंने
शरारत से बचाना, और इससे खुद जिद कर लिया था 
अपनी हर ख्वाहिश को दफनाना ठान लिया था तुमने
नहीं कह कुछ, सागर को भी प्यासा कर दिया तुमने
अब कदम बढ़ाने की आगे किस राह से सोंचूंगा
मेरे क़दमों.....
-प्रभात



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