Wednesday 25 May 2016

चाहिए उसे बस है गुजरे अकेले मौत से खाली

चाहिए उसे बस है गुजरे अकेले मौत से खाली
गूगल से साभार

 तमन्ना है, जो होनी चाहिए वो मुश्किलों से खाली
वहां तो छाया है कोई, है वो पेड़ों से खाली

कोई इंसान खुद की राह चले या खुदा की खाली
पढ़ेगा उसे जमाना जहां होगा यह फैसला खाली

गिरेगा कांच भी बनकर पत्थर, रहेगा कांच खाली
चाहिए उसे बस है गुजरे अकेले मौत से खाली

चीखते हैं, जहां वो लोग अकेले कठघरे में खाली
वहां अपना हो या पराया कोई, वो देखेगा खाली

करोगे तुम्ही अर्पण सुबह का ओंस (बिन्दुस्राव) बनकर खाली
तड़फ की रात के बाद मिलेगा सूकून ही खाली

भीड़ है, तो वहां संभालना है खुद भीड़ से खाली
चलना है अकेले जहाँ कोई हमसफ़र हो खाली

कीचड़ में खिले सुमन को है कहने का साथ खाली
होती है वही असली परीक्षा धर्म और त्याग की खाली
-
प्रभात

Monday 23 May 2016

तुम आ ही गए

तुम  ही गए
गूगल से साभार 


बस तुम्हारा ही इंतजार था
तुम  ही गए
शीतलता का एहसास कराने
तरसती बूंदों से भिंगोने
जिनसे हमने छुआ था एक दूसरे को
इसी तपती दोपहरी के बाद
मिले थे माटी की खुशबू के साथ
जिसमें हमारे पसीने की कुछ बूंदे थी
कुछ प्रेम के आंसू
और कुछ बूंद
गगन से  छूटा हुआ जहाँ देखते ही
तुम  ही गए
उसी समर्पण के साथ
मेरे पास आँखों से बहुत दूर
पर दिल के पासमेरे साथ
चलते हुए लगता है
चल रहा हूँ साथ तुम्हारे
तुम्हारी मधुर आवाज के साथ
भींगे पत्तों को छुआ लगता है
तुम  ही गए
मेरे प्रेम को जीवंत कराने
तभी तो चला जा रहा हूँ
मृग की भांति ही
पर अब वो खूबसूरत अदा
नाभि का इत्र
सब जैसे मेरे ही सिरहाने है
तभी तो अब मैं सोऊंगा
कुछ अच्छे ख्वाबों के साथ
फिर कहूँगा यहाँ भी
तुम  ही गए
-प्रभात 

Saturday 21 May 2016

खुद को गाता हुआ पाया


तुम मुझे देख कर कुछ  कह पाये मैं तुम्हे देख कर कुछ  कह पाया
ये फैसला वक्त का वक्त पर छोड़ मैं अभी तक तुम्हे  लिख पाया
गूगल साभार 

जानते हो उस दिन क्या हुआ तुम आयी हवाओं के चलने की तरह,
मुस्कराती हुयी मंद गति से शीतलता का एहसासछू लेने की तरह,
कुछ देर रुक कर उड़ गयी तुम, वो बेचैन बादल के झोकों की तरह,
मैं जब खिड़की से उस वक्त झाँकालगा तबतुम अभी बुलाओगी 
मैं जब तुम्हारे पीछे आया तो तुम्हारी कमी देख खुद को तनहा पाया
अंतिम मुलाकात में तुम्हें देख कर, कुछ दूर आकर, तुमसे ही  मिल पाया
है अफ़सोस मुझको भी और तुमको भी, हमारी पसंद ही खुद को जुदा पाया
लगता है व्यर्थ में, सारा जहाँ तुम्हारा इंतज़ार करता है
तुम वो शाम हो अगर वहां की तो मैं तो हूँ तुम्हारे बाद का  
मालूम तुम्हे सब कुछ था और मुझे भी, पर तुम्हारी ख्वाहिशे न जान पाया
 हुआ हासिल कुछ और मगर, तुम्हारी तरह ही खुद को गाता हुआ पाया
-प्रभात



Wednesday 18 May 2016

पर झोपड़ी के घर कितना सूकून नहीं होता

पर झोपड़ी के घर कितना सूकून नहीं होता 

बर्बादी आबादी का नाम नहीं होता
और जीवन में सफलता ही सब नहीं होता

गूगल साभार 

किस्से हज़ार होते है सोने के महलों के
पर झोपड़ी के घर जितना सूकून नहीं होता 
तरसती है आँखें बस खुशियों के आंसू की
हर किसी को इसका ही एहसास नहीं होता
पाने के लिए चीज़ों की कमीं नहीं होती
सिवाय चिंता खोने को कुछ नहीं होता  
प्रेम के शब्द का एहसास मात्र ही प्रेम है
कोई पास आ जाये इससे कुछ नहीं होता
दुःख ही दुःख तब आते और सुकून न होता 
यदि “प्रभात” के सिवाय भी शाम है आती 
और शाम के बाद सहर (सवेरा) नहीं होता
-प्रभात 

प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारो धाम है


प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारो धाम है  

प्रेम एक सुबह है तो प्रेम एक शाम है
प्रेम से ही मुलाकात ही प्रेम का नाम है
गूगल साभार 

प्रेम एक छांव है तो प्रेम चारो धाम है   
प्रेम एक तृष्णा है तो प्रेम शब्द बाण है
प्रेम ही अर्पण त्याग, श्रद्धा  से बलिदान है
प्रेम ही ज्ञान, विज्ञान व मन्त्र का विधान है 
प्रेम की परिभाषा में संगीत, अनु-राग है    
प्रेम तो सुख दुःख और सर्वस्व, निर्वाण है
प्रेम ही उचित-अनुचित सब व्यवहार है
प्रेम की अमर कहानी प्रेम का अभ्यास है
प्रेम ही छंद, ताल और भौहो का संवाद है   
प्रेम एक गजल, दोहा, सवैया, अलंकार है
प्रेम ही दिव्य दृष्टि, राधे-श्याम का नाव है
प्रेम ही उपासना और प्रेम भक्ति भाव है 
-प्रभात




यही सारे बहाने है

रंग बिरंगे नज़ारे है
एहसास पुराने है
लिख रहा हूँ वही
जहाँ श्रृंगार तुम्हारे है


गूगल साभार 

उस क्षण की अनुपम
यादों के साये में
सूरज की राहों में
मुलाकात हमारे है
मगन गगन के छाँव में
शांत शाम के मनोभावों में
रुके समय की सौंदर्य गाथाएं है
देख रहा है नेत्र, रंगों को भरते
तुम्हारी कला और हमारे प्रेम की
अजब गजब ख्वाबो की
बाहों के उस मिलन की
वर्षों से इन्तजार में इस पल की
जहाँ खुशबू के मयखाने है
तुम्हारे दिल के तराने है
साँसों की गहराई के पैमाने है
तुम्हारी पहचान के मायने है
वह खूबसूरत सा एहसास जहाँ
अस्त को चला सूरज एक क्षण
हमारे स्वागत को रुके है
और यादों को कैद करने
तुमसे करीब करने
और पल प्रतिपल
तुममे ही खो जाने के लिए
यही सारे बहाने है
-प्रभात