Sunday 6 December 2015

राम मंदिर छोड़िये...

मस्जिद बनाने वाले मुसलमान बताते है
मंदिर बनाने वाले खुद को हिन्दू बताते है
पर इंसान बनाने वाले को भगवान् बताते है  
बांटकर किसी फल के बीज को सताते है
क्यों हिन्दू और क्यों मुसलमान बनाते है
क्यों इंसान बनाने वाले भगवान बनाते है
पहले तो हिन्दुओं हरिश्चद्र और राम बनो
मुस्लिमों पैगम्बर और कुरआन तो बनों
पूजने वाले आजकल बाबर को पूजते है
स्वदेशी कबीर और रसखान को पढ़िए
बाबर छोड़िये नहीं तो देश हम बताते है
राम मंदिर छोड़िये नहीं तो राम-२ बताते है

-प्रभात 

Friday 4 December 2015

कोई आभूषण हो तन में...

कोई आभूषण हो तन में तेरी ज्योति छिन जाये
तुम  हो  जो केवल मन में मेरे हौंसले बढ़ जाये
मैं सोंचू पल – पल तुझको तेरा रूप न हट पाये
ये होता है कैसे  बिन देखे ही दर्शन मिल जाये
तेरी बात ही ऐसी, सोंचू तो चेहरा खिल जाये
मेरी उम्मीद और ताकत का अंदाजा लग जाये
-गूगल
कोई आभूषण......................................
कितनी भी हो उदास राते, स्वप्न खुशियाँ लाये
सुबह को जगने पर तेरा प्यार मिला नजर आये  
कुछ पल न हो बातें साफ खामोशी दिख जाये
सोंचू मन से तो दो पल में मोती बन आसूं आये
खैर मेरी व्यथा व मेरा परिणाम, सब तुम ही हो
मेरी सफलता तब परिभाषा तुझको अर्पण हो
हरदम की खबरों में तेरा रूप विदित हो जाये
कोई आभूषण....................................
 -प्रभात