Tuesday 7 July 2015

बारिश...

हे बारिश! तुम्हें पता है कि मैं तुम्हारी राह देख रहा था
-Google
तुम्हारा इतना जल्दी आना
मुझे मेरे प्यारे दोस्त के मिलने की तरह है
देखो मेरे चेहरे की रौनक
मेरे अब दुबक कर बैठने
और मेरे बाहों का अंदाज़
तुम्हारी तरल बूंदों सा उपहार मेरे हाथों पर है

देखो कैसे वृक्ष अपने पत्ते फैला लिए
फूल अब हंसने लगे
जड़ें ऊपर से ही नजर आ गईं
और छाल में अब रंग पहले की तरह है
हे बारिश! हम (वृक्ष) तुम्हारे इंतज़ार में अब तक खड़े हैं 

देखो पंक्षी कहा छिपे हैं
कुछ बोल रहे हैं
कुछ गा रही हैं
और कुछ चैन से सो रहे हैं
कुछ बारिश में भीगकर आनंद ले रहे हैं
हे बारिश! तुम्हे पता है कि हमें तुम्हारे आने की प्रतीक्षा थी

-Google
देखो खेत हमारे
धान की रोपाई और
कागज के तिकोने नाव
कैसे हैं चौराहों के चाय
हे बारिश! तुम्हे पता था कि सब तुम पर ही निर्भर हैं

तुम आये और बिना निमंत्रण के
बिना बाधा के
बिना किसी स्वार्थ के
बिना किसी बदलाव के
उसी साज और बाज से
हे बारिश! तुम्हे पता था कि हम तुम्हारे बिना अब तक कैसे थे.....
-प्रभात 

Friday 3 July 2015

पता है प्रेम में ....

-Google

पता है प्रेम में डूबा हूँ कैसे
जब जानोगी तो आँखे भीग जायेंगे  
बारिश की पहली आगाज में
बादल भी हवा में बहना भूल जायेंगे
कहते है प्रिये समंदर की लहरे दूर तक चली आती हैं
हमें मालूम बस चले कभी कोई बाधा
हम लहरों से भी तुम्हे खींच ले आयेंगे

-Google
तबस्सुम प्रीत में लिपटा है ऐसे
चाहकर भी कभी न भूल पायेंगे
शबनम को हवा जब चाहे गिरा दे
मगर प्रभात प्रेम में पंखुड़ियों से लिपटे पायेंगे
कहो तो प्रिये दिल से कल तुम मिलने आ रही ही
जुनून होगा मिलने का इस कदर 
किसी और में भी तुम्हारी सूरत नजर आयेंगे


-प्रभात  

Thursday 2 July 2015

मेरे एहसास अगर तुम पर लिखते चले गए.....

मेरे एहसास अगर तुम पर लिखते चले गए, तो दुनिया मुझे पागल समझने लगेगी





मेरे एहसास अगर तुम पर लिखते चले गए, तो दुनिया मुझे पागल समझने लगेगी
हिसाब प्यार का मांगने मुझसे कहीं आ गए, तो ये कलम ही मुझे बुद्धू बताने लगेगी
बता दूँ अभी यहाँ अपने जिन्दगी का हाल तो दुनिया मुझे ही पागल समझने लगेगी
मेरे एहसास........................................................................................

मुहब्बत थी झूठी या कहानी थी, कागज पर लिखा था और लिखता चला गया
मैं अपने प्यार से बेखबर रहा और खबर मिली तो बस तनहा सा होता चला गया
कभी खुशबू अगर होगी तुम्हारे आने की यहाँ, तो साँसे रुक रुक कर चलने लगेगी
मेरे एहसास..........................................................................................

कहीं भी जाता हूँ तो खो सा जाता हूँ, अपनी हुनर पर ही बेवजह शक छोड़ जाता हूँ
अपने रिश्ते के कितने कठिन आयाम है, जो मुश्किलों में बस दो लाईनें छोड़ जाता हूँ
पता है मुझे तुम्हारे क़द्र की खबर, कहीं बता दूँ तो दुनिया मुझे पागल समझने लगेगी
मेरे एहसास.........................................................................................

रात चांदनी होती है आजकल मगर, मेरी हालत देख कर उसे सुलाना आ गया है
वो जब मुझे ऐसे बैठे देख लेती है तो लगता है अमावस रात कुछ कहने आ गया है  
हलचलों में जिन्दगी के हम अगर तटस्थ हो गए तो दुनिया मुझे पागल समझने लगेगी
मेरे एहसास..........................................................................................

ये प्यार की रश्में कितनी काम की है यहाँ, जहाँ देखो वही तुम्हारा नाम आ जाता है
वर्षों हो गए मुलाकात के अपने, मगर हर रात सपनों में ही अपना साथ मिल जाता है
अब अगर बेशर्मी में खुद से ही कुछ बात कर लूँ, तो दुनियां मुझे पागल समझने लगेगी  
मेरे एहसास...............................................................................................

-प्रभात