Sunday 26 April 2015

खुदा बख्श तो दो उनको जो मौत के काबिल न हो

उन बेगुनाहों के लिए मैं ईश्वर से उनकी आत्मा को सुख और शांति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ जो इन प्राकृतिक आपदाओं में बेवजह मारे जा रहे है- 

तबाही वहां हो तो अच्छा जहाँ केवल अपराधी है,
संसद का बुरा माहौल बनाने वाले आतंक आदी है
खुदा बख्श तो दो उनको जो मौत के काबिल न हो
मचाना त्रासदी वहां बस जहाँ गुनाहों में आबादी है

सुलाया था जिसे माँ ने उसे तुम्हे सदा सुलाना है
जहाँ रही बात घर की घर में उसे नहीं बचाना है
ऐसा अन्याय तुम न करो तुम ही मालिक जो हो
बचा लेना उन्हें प्रभु जिन्हें दहशत न मालूम हो
अब रोक लो ये नजारा जहाँ केवल निरपराधी है
 -प्रभात

9 comments:

  1. बचा लेना उन्हें प्रभु जिन्हें दहशत न मालूम हो
    अब रोक लो ये नजारा जहाँ केवल निरपराधी है.
    बहुत सुन्दर .

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  2. दिल से निकले शब्द हैं ... बहुत संवेदनशील शब्द हैं ...

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  3. दर्द दिल का , बात मन की

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  4. संवेदना जगाती रचना.
    नई पोस्ट : तेरे रूप अनेक

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  5. बेहद संवेदनशील रचना।

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