Sunday 26 April 2015

खुदा बख्श तो दो उनको जो मौत के काबिल न हो

उन बेगुनाहों के लिए मैं ईश्वर से उनकी आत्मा को सुख और शांति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ जो इन प्राकृतिक आपदाओं में बेवजह मारे जा रहे है- 

तबाही वहां हो तो अच्छा जहाँ केवल अपराधी है,
संसद का बुरा माहौल बनाने वाले आतंक आदी है
खुदा बख्श तो दो उनको जो मौत के काबिल न हो
मचाना त्रासदी वहां बस जहाँ गुनाहों में आबादी है

सुलाया था जिसे माँ ने उसे तुम्हे सदा सुलाना है
जहाँ रही बात घर की घर में उसे नहीं बचाना है
ऐसा अन्याय तुम न करो तुम ही मालिक जो हो
बचा लेना उन्हें प्रभु जिन्हें दहशत न मालूम हो
अब रोक लो ये नजारा जहाँ केवल निरपराधी है
 -प्रभात

Saturday 18 April 2015

ऐसा तभी हो सकता है

खामोश अक्स का उन्हें मालूम न हो
सुबह-सांझ कोई शिकायत न हो
कोई न संवाद न ही कोई कारण हो
ऐसा तभी हो सकता है
जब उन्हें मेरे प्रेम का मालूम न हो

एक बात ही केवल इशारों में हो
लिखा हुआ खत व्यापारों में हो  
कागज में हो मगर उसके जहाजों में हो
ऐसा तभी हो सकता है
जब मेरे प्रेम का उन्हें मालूम न हो

अविश्वासों के बीच एक विश्वास हो
हजारों में केवल एक अहसास हो
सपनों की उड़ान लिए ही कोई रात हो
कोशिश मेरी नाकामयाब हो
ऐसा नहीं हो सकता
ऐसा तभी हो सकता है
जब मेरे प्रेम का उन्हें मालूम न हो
-प्रभात 

Tuesday 14 April 2015

खूब चाहा है जिसे पा लूँगा.....

-Google
ये बारिश रोक दो सिवान का
मैं प्यासा ही रह लूँगा
मेरी अमानत है इस माह का
खूब चाहा है जिसे पा लूँगा

कितनी ख्वाहिशें थी मेरी, हरियाली भरी एक शाम में
कुदरती करिश्मा था तब 
बिन तूफानी राह में
अब ये चक्रवाती बाजारों का रुख मोड़ दो... 

बेखबर था नहीं तब मैं तुम्हारे परिणाम से
मगर हैरानी है जो अब आ गए
कभी देखो रंग मेरे चेहरे का
अब इसे खिल जाने दो...
-"प्रभात"

Monday 6 April 2015

तुम्हारी राह देखने तक का नशा है..




"वही प्यारी खुशबू वही प्यार का नशा है

कोई लता चढ़कर मेरे रूह तक बसा है

मैं बांस* हूँ, पुष्प आने तक का नशा है 

तुम्हारी राह देखने तक का नशा है......"



*अधिकतर बांस का फूल जीवन में एक बार आता है और फल आते ही बॉस अपना जीवन समाप्त कर लेता है!

-प्रभात