Saturday 15 February 2014

मेरी अभिव्यक्ति शायद कमजोर थी!

                  मेरी अभिव्यक्ति शायद कमजोर थी!


       मैं पहली बार अपने अभिव्यक्ति पर सवाल उठा कर यह बता देना चाहता हूँ कि मैं वास्तविकता में विश्वास रखता हूँ. मुझे पहली बार ऐसा लगा कि मैं अपराधी हूँ क्योंकि मैं अपनी बात सही तरीके से उन तक पहुंचा सका जिसनें मेरी मदद की और मेरा ख्याल उस मदद की कीमत चुकाने का छोटा प्रयास करने का था। यह प्रयास केवल इसलिए था की मैं उन्हें इस वास्तविकता से अवगत करा दूँ ताकि मुझ पर उन्हें संदेह न हो सके. शायद ही कभी ऐसा हुआ हो यह पहला मौका था जब वो अचानक मिलती हैं और उनसे सिर्फ नमस्कार के  जवाब का अहसास मिला. मुझे अहसास होता है मेरी अभिव्यक्ति उनकी तुलना में बहुत कमजोर और संदेहात्मक दिखी। मैं एक वाकया और नहीं होने देना चाहता था पर खुद की इच्छा से कहा रोक पाता।       खुदा की इच्छा ने इस वाकया को घटित भी होने दिया। परन्तु मेरा विश्वास मेरी ऊंचाईयो को छूता है और इसी का परिणाम हैं मैं यहाँ आपके पास शब्दों के माध्यम से रखने का साहस कर सका. प्रेरणादायक कहानी का यह एक अंत नहीं बल्कि एक अच्छी शरुआत है शायद अब आप भी इसके सहभागी बनें रहेंगे। प्रभात१५/०२/२०१४

Sunday 9 February 2014

हो रहा वसंत आगमन!

 हो रहा वसंत आगमन
हो रहा प्यारा गगन
आम्र की डालिया बौरों को दिखा रही है 
सरसों के खेत फूलों से लहलहा रही है 
बेल के फूलों से बढ़ा पत्तों का शान,
लेकर सुगंध बह रहा पवन
हो रहा वसंत आगमन
हो रहा प्यारा गगन

सतरंगी किरणें फूलों को सजा रही हैं
इधर उधर चिड़ियाँ चहचहा रही हैं
हर दिशाओं को देखने लगा ये मन,
हरियाली छाई है बन बन
हो रहा वसंत आगमन
हो रहा प्यारा गगनl

कुछ कोपलें छुपती दिख रही हैं
पर्ण पल्लव सोकर अब उठ रही है
लताओं में मानों हो रहा संचार,
हो रहा वसंती बागवान
हो रहा वसंत आगमन
हो रहा प्यारा गगनl

सजी रंगी बगियाँ अब महका रही है
पतझड़ को ये अब भुला रही है
भ्रमर हो रहा अब मगन,
मंज़िल पाने चल दिया मन
हो रहा वसंत आगमन
हो रहा प्यारा गगनl

                            -प्रभात